Maa Brahmacharini Vrat Katha | शारदीय नवरात्र और चैत नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्र का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। मां दुर्गा का मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप बेहद शांत होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी का रूप कैसा होता है?
माँ ब्रह्मचारिणी दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल धारण करती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कब होती है?
चैत्र नवरात्र में नवरात्र का दूसरा दिन मां दुर्गा की द्वितीय शक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप शांत और सौम्य हैं। चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कौन सा फल प्राप्त होता है?
माना जाता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ करने से साधक को त्याग, वैराग्य, संयम और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ ही इस दिन (Maa Brahmacharini Vrat Katha) माँ ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी कथा | Maa Brahmacharini Vrat Katha
हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी हिमालय और देवी मैना की पुत्री हैं। नारद मुनि के कहने पर माँ ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर की कठिन तपस्या की थी। इसके फलस्वरूप से ही मां ब्रह्मचारिणी ने भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया था।
मां ब्रह्मचारिणी की कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या कितनी कठिन थी?
मान्यता है कि तपस्या के दौरान मां ब्रह्मचारिणी देवी ने तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए थे। मां ब्रह्मचारिणी हर तरह के दुख सहकर भी भगवान शंकर जी की आराधना करती रहीं थी। तत्पश्चात मां ब्रह्मचारिणी ने बिल्व पत्र का भी त्याग कर दिया था। इसके बाद माँ ब्रह्मचारिणी ने कई हजार वर्षों तक निर्जल व निराहार रहकर भगवान् शंकर की तपस्या की थी।
जब मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर की तपस्या के दौरान पत्तों को भी खाना छोड़ा तो उनका नाम अपर्णा पड़ गया।
भगवान शंकर की घोर तपस्या के कारण मां ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीर्ण हो गया। जिसे देखकर देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताकर सराहना की और कहा कि ”हे देवी आपकी तपस्या जरूर सफल होगी”। फिर कुछ समय के बाद ऐसा ही हुआ। बता दें, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है।