Chath Puja Significance: छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा (छठी मैया) को समर्पित है। छठ महापर्व मुख्य: रूप से भारत के बिहार, झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है। छठ महापर्व का त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें कठोर अनुष्ठान शामिल होते हैं, जिसमें उपवास, नदी, तालाब या जल निकायों में स्नान करना और डूबते और उगते सूरज को अर्ग (प्रार्थना) देना शामिल है।
छठ महापर्व का ऐतिहासिक महत्व | Historical Significance of Chath Puja:
छठ महापर्व एक प्राचीन हिंदू त्योहार है और माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 2500 वर्ष से भी पहले हुई थी। ऐतिहासिक रूप से, छठ पूजा की शुरुआत राजा प्रियव्रत द्वारा की गई थी। राजा प्रियव्रत अपने राज्य के कल्याण और समृद्धि के लिए सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान किया था।
छठ महापर्व का त्योहार पांडवों की पत्नी द्रौपदी की कथा से भी जुड़ा है, जिन्होंने महाभारत युद्ध में अपने पतियों की जीत के लिए सूर्य देव का आशीर्वाद लेने के लिए छठ पूजा की थी।
छठ महापर्व की पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाती है। छठ महापर्व चार दिवसीय अनुष्ठान शामिल होता है जिसमें उपवास, प्रार्थना करना और नदियों में पवित्र स्नान करना शामिल होता है।
छठ पूजा का महत्व और उत्सव | Significance of Chath Puja:
पहला दिन नहाय खाय :
छठ महापर्व (Chhath Puja) के पहले दिन घर की सफाई करना, गोबर से लिपाई और पवित्र स्नान के बाद पारंपरिक भोजन तैयार करना शामिल है। इस दिन दाल, चावल, कद्दू (लौकी) की सब्ज़ी, ओल(जिम्मीकन्द)की सब्ज़ी बनाने की प्रथा है। इस दिन भक्त केवल एक समय भोजन करते हैं।
दूसरा दिन लोहंडा और खरना:
छठ महापर्व (Chhath Puja) के दूसरे दिन, भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद खीर (चावल का हलवा), पूड़ी और केले के साथ भोजन ग्रहण कर उपवास तोड़ते हैं। फिर छठ व्रती अगले 36 घंटों तक बिना भोजन और पानी के उपवास करते हैं।
तीसरा दिन संध्या अर्घ्य :
छठ महापर्व की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन जिसे सारी दुनिया जानती और देखती है . छठ व्रती श्रद्धालु डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य (शाम का प्रसाद) देने के लिए किसी नदी तट या जलाशय पर इकट्ठा होते हैं। प्रसाद में आम तौर पर फल, मिठाइयाँ और बांस की टोकरियों में व्यवस्थित अन्य पारंपरिक वस्तुएँ शामिल होती हैं। छठ व्रती पानी में स्नान कर सूर्य को नमन करती/करते हैं और उनके परिवारजन दूध, पानी को छठ व्रती के सामने डालते हैं। इस तरह संध्या बेला की अर्ग दिया जाता है
चौथा दिन उषा अर्घ्य (सबेरे का अर्ग/अर्घ्य):
छठ महापर्व की पूजा का त्योहार का समापन उषा अर्घ्य (सबेरे का अर्ग/अर्घ्य) के साथ होता है, जहां छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद, छठ व्रती अपना उपवास अर्ध्य में शामिल फल, पकवान को खाकर तोड़ते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ प्रसाद (पवित्र भोजन) साझा करते हैं।
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छठ महापर्व की अनुष्ठान और प्रथाएँ:
पवित्रता:
छठ पूजा के दौरान पवित्रता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें शरीर, मन और परिवेश की स्वच्छता शामिल है। छठ पर्व में शामिल सामग्री सभी प्रकृति प्रदत चीजों से बानी होती है।
छठ व्रत का उपवास:
छठ व्रती 36 घंटे तक बिना पानी के कठोर उपवास भक्ति का प्रतीक है और माना जाता है कि यह समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी लाता है।
प्रार्थना और प्रसाद:
छठ व्रती पानी में खड़े होकर बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य को प्रार्थना और अर्घ्य देते हैं।
छठ महापर्व की पूजा अपार आस्था और सामुदायिक जुड़ाव का समय है, जहां परिवार जश्न मनाने के लिए एक साथ एकत्रित होते हैं और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य देव को धन्यवाद देते हैं।
Chath Puja kab hai
chath puja date:
October 25: Nahay-Khay
October 26: Kharna
October 27: Arghya to the setting sun
October 28: Arghya to the rising sun, and the end of the festival
Happy Chath Puja
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